Wednesday, December 24, 2014


मुझसे दूर 

हो सकता है तुम्हें लगता हो
मेरा फ़ोन न उठाकर
मुझे जवाब न देकर
मुझसे दूर रहकर
तुम्हें सुकून मिले

हो सकता है
मुझे भुलाकर
मेरी यादों को छितराकर
तुम अपने काम पर
ध्यान लगा पाओ

तुम्हें लगता होगा
की मैं और मेरी परछाई
या फिर उसकी याद
तुम्हें रोकती होगी
आगे बढ़ने से

पर कभी कभी
सांस भी तो फूलती है
शरीर भी थकता है
आँखें भी थकती हैं
ये सब रोकते हैं
आगे बढ़ने से हमें

पर क्या छोड़ पाते हैं
इन सब को हम

मैं भी वही सांस हूँ
तुम में बसी
मुझसे भाग न पाओगे
मेरे भाई,
तुम्हारा हिस्सा हूँ मैं

कहीं भी जाओ
कहीं भी बढ़ो
मैं तो साथ ही हूँ
मत भागो मुझसे दूर
तुम्हारा सुधीर

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