Wednesday, October 8, 2014

मेरा पुरुषत्व 

मैंने दिखाया तो अपना पुरुषत्व ,
उसके साथ  चलकर, 
अब उसकी बारी है ,
मेरे साहस के बदले ,
अपने उस आत्मसम्मान को
कम करने की ,
जो उसमें पहले बसता था 
ताकि वो मेरे परिवार में 
अपनाई जा सके 
मैंने दिखाया तो मर्दानगी 
उसके लिए तनिष्क का 
महंगा कंगन खरीदकर 
अब उसकी बारी है 
अपने उस विवेकशील 
संघर्षशील मस्तिष्क को 
एक तरफ रख देने की 
ताकि मैं उस समाज में 
अपनी मान्यता पा सकूँ 
जाकर बता सकूँ
देखा मेरा पुरुषत्व। 
 
 
सुधीर 

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